2025-06-18 05:06:56
Verse 1
नीली दीवारों पर कोई परछाईं नहीं
मुड़ी हुई सड़कों पर सवालों की भीड़ है
भीतर का सन्नाटा चीखता सा लगता है
नयी सुबहों से अब दोस्ताना नहीं है
Chorus
टूटे धागे, उलझे ख्वाबों की कसम
चल पड़े हैं रुकने का अब नाम नहीं
शोर में दबते हैं दिलों के कई रंग
चलो जला दें इन सर्दियों की बातें सभी
Verse 2
खाली पन्नों पे फरियादें लिखी हैं
टूटे भरोसे से तफसीलें सींकी हैं
बनावटों के शहर में मैं अकेला खोया
सच की आंधी में उड़ गए इरादे सभी
Chorus
टूटे धागे, उलझे ख्वाबों की कसम
चल पड़े हैं रुकने का अब नाम नहीं
शोर में दबते हैं दिलों के कई रंग
चलो जला दें इन सर्दियों की बातें सभी
Bridge
हवाओं से लड़ेंगे, ना रुकेंगे कभी
अपना सूरज खुद बनाएंगे कहीं
काँच-सा टूटा मन, सच्चाई पे अड़ा
Chorus
टूटे धागे, उलझे ख्वाबों की कसम
चल पड़े हैं रुकने का अब नाम नहीं
शोर में दबते हैं दिलों के कई रंग
चलो जला दें इन सर्दियों की बातें सभी
Chorus (Final, slight variation)
टूटे धागे, उलझे ख्वाबों की कसम
चल पड़े हैं हौसलों की अलख लिए
शोर में जागे हैं दिलों के नए रंग
अब जलाएंगे उम्मीदों की रौशनी सभी